May 8, 2008

हँसी के पल

आज का इन्सांन लगता है हसँना भूल चुका है, इसमें उसका कोई दोष भी नही है , क्योकि समय कि चक्की के आगें वो इतना पिस चुका है कि उसके पास हँसने के लिये समय ही नही है। आज आदमी की लालसा उसे उतना मौका ही नही देती कि वो हँसने के लिये थोड़ा वक्त निकाल ले। बस एक चीज आज थोड़ा ज्यादा बड़ गई है वो है भागम- भाग । ओर इसी भागम-भाग के बीच हमे थोड़ा वक्त मिला है कि हम लोगो को थोड़ा हँसा सके ।
धन्यवाद

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